कागजों में फिट लेकिन हकीकत में इमरजेंसी गेट से लेकर पहिए तक में थी गड़बड़ी, लखनऊ बस हादसे की जांच
- Deepak Singh Sisodia
- May 17
- 2 min read
लखनऊ के मोहनलालगंज में जली हुई बस कागजों में सही पाई गई, लेकिन जांच में इमरजेंसी गेट और वील बैलेंसिंग में खामियां उजागर हुईं। एमवीआई की जांच से यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश में कई वाहन इसी प्रकार संचालित हो रहे हैं, क्योंकि एमवीआई फील्ड चेकिंग के बजाय दफ्तरों में व्यस्त रहते हैं।

लखनऊ: लखनऊ के मोहनलालगंज में आग की चपेट में आई एसी डबल डेकर बस कागजों पर पूरी तरह से सही पाई गई थी, जबकि वास्तविकता में बस के इमरजेंसी गेट से लेकर वील बैलेंसिंग तक में खामियां थीं। हादसे के बाद मोटर वाहन निरीक्षक (एमवीआई) की जांच में पूरी स्थिति स्पष्ट हो गई है। प्रदेश में ऐसे कई वाहन बिना रोक-टोक चल रहे हैं। इसके बावजूद, इन गाड़ियों की जांच के लिए जिम्मेदार एमवीआई अभी भी फील्ड चेकिंग के बजाय फिटनेस सेंटरों और दफ्तरों में फाइलों के साथ व्यस्त हैं।
एमवीआई नियुक्ति के बाद भी फील्ड चेकिंग में देरी: व्यवस्थाओं की कमी बनी बाधा
संभागीय निरीक्षकों (आरआई) को मोटर वाहन निरीक्षक (एमवीआई) के पद पर नियुक्त करते हुए, उन्हें अप्रैल से फील्ड में जांच करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके बावजूद, एक महीने बीत जाने के बाद भी एमवीआई को चेकिंग के लिए नहीं भेजा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इसके लिए आवश्यक वाहन और अन्य व्यवस्थाओं की कमी है।
15 मिनट में बस की खामियों का पर्दाफाश: एमवीआई विष्णु कुमार की रिपोर्ट से मचा हड़कंप
हादसे में शामिल बस की जांच करने वाले एमवीआई विष्णु कुमार ने मात्र 15 मिनट में सभी खामियों को उजागर कर दिया। उनकी रिपोर्ट से परिवहन विभाग मुख्यालय में खलबली मच गई है। यह सवाल उठ रहा है कि इतनी खामियों के बावजूद बस का संचालन कैसे हो रहा था।
उत्तर प्रदेश में एमवीआई पदों की कमी और अन्य राज्यों से तुलना
उत्तर प्रदेश में प्राविधिक निरीक्षक (आरआई) के कुल 124 पद हैं, जिनका पदनाम अब मोटर वाहन निरीक्षक (एमवीआई) कर दिया गया है। वर्तमान में, केवल 66 पदों पर एमवीआई तैनात हैं। राजस्थान और महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों में आरआई लंबे समय से एमवीआई के रूप में कार्यरत हैं, जिसके परिणामस्वरूप इन राज्यों में सड़क दुर्घटनाओं में कमी देखी गई है।




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