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गाजीपुर-बलिया से बिहार तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे पर बनेगा घना जंगल, मियावाकी पद्धति से होगा पौधारोपण

उत्तर प्रदेश समाचार: गाजीपुर से बिहार के मांझी तक प्रस्तावित ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के किनारे एक सघन वन विकसित किया जाएगा। वन विभाग मियावाकी पद्धति का उपयोग करते हुए पौधारोपण करेगा, जो यात्रियों को तेज गति के साथ-साथ शुद्ध वायु भी प्रदान करेगा।

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गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से बलिया होते हुए बिहार के मांझी तक जाने वाले ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के किनारे हरी-भरी हरियाली का दृश्य मिलेगा। इस परियोजना के अंतर्गत यात्रियों को तेज गति के साथ-साथ स्वच्छ वायु का अनुभव भी होगा। इसके लिए एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर 2.5 किलोमीटर लंबा घना वन क्षेत्र विकसित किया जाएगा। वन विभाग मियावाकी तकनीक का उपयोग करके पौधारोपण करेगा और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी वन विभाग के पास होगी।


जंगीपुर बाईपास पर मियावाकी पद्धति से पौधारोपण की योजना

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने जंगीपुर बाईपास के पास किलोमीटर संख्या 900 से 911.5 तक डेढ़ हेक्टेयर भूमि को पौधारोपण के लिए चिन्हित किया है। एनएचएआई के सह-परियोजना निदेशक ने इस संदर्भ में वन विभाग को पत्र भेजकर अधिक से अधिक पौधे लगाने का निर्देश दिया है। वन विभाग ने इस चिन्हित भूमि पर मियावाकी पद्धति से लगभग 50 हजार पौधों का रोपण करने का निर्णय लिया है। डीएफओ विवेक यादव ने बताया कि पौधारोपण का कार्य जुलाई 2025 में शुरू होगा।


मियावाकी पद्धति: तीव्र वन विकास की जापानी तकनीक

मियावाकी पद्धति एक तकनीक है जिसे जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी ने विकसित किया है। इस विधि के अंतर्गत स्थानीय प्रजातियों के पौधों को सीमित स्थान में घना जंगल बनाने के उद्देश्य से रोपित किया जाता है। इस प्रक्रिया में जीवामृत और गोबर खाद का प्रयोग किया जाता है। 2 फीट चौड़ी और 30 फीट लंबी पट्टी में 100 से अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं। पौधों को आपस में निकटता से लगाने के कारण मौसम का प्रभाव कम होता है, जिससे गर्मियों में भी पौधे हरे-भरे बने रहते हैं। इस तकनीक से वन क्षेत्र का तीव्र विकास संभव होता है।


मियावाकी पद्धति से प्राकृतिक जंगल का निर्माण

मियावाकी पद्धति में विभिन्न ऊंचाई वाली पौधों की तीन प्रजातियों का चयन किया जाता है। इनमें एक प्रजाति लंबे पेड़ों की होती है, दूसरी कम ऊंचाई वाले पौधों की, और तीसरी छायादार पौधों की होती है। इन पौधों को एक व्यवस्थित दूरी पर लगाया जाता है, जिससे जंगल का प्राकृतिक स्वरूप विकसित हो सके।


ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के किनारे हरियाली का विस्तार: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल

ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के किनारे घने जंगल के निर्माण से यात्रियों को हरियाली का अनुभव होगा और यह पर्यावरण संतुलन में भी सहायक होगा। बढ़ते प्रदूषण के समय में इस प्रकार के पौधरोपण की आवश्यकता को सभी महसूस कर रहे हैं। यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यात्रियों के लिए एक सुखद अनुभव भी प्रदान करेगी।

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