Delhi Election: दिल्ली चुनाव में नोटा ने दो सीटों पर बिगाड़ा खेल! कई उम्मीदवारों से मिले ज्यादा वोट
- Deepak Singh Sisodia
- Feb 9
- 2 min read
दिल्ली विधानसभा चुनाव में नोटा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगम विहार और त्रिलोकपुरी सीटों पर बीजेपी की जीत और हार का अंतर नोटा वोटों की संख्या से अधिक था। 70 सीटों पर 53,000 से अधिक नोटा वोट डाले गए, जबकि कांग्रेस, बीएसपी सहित 557 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों ने कई उम्मीदवारों को चिंतित कर दिया। इस बार नोटा ने राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित किया है। संगम विहार और त्रिलोकपुरी विधानसभा सीटों पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी गई, लेकिन अंततः बीजेपी ने कुछ ही वोटों के अंतर से जीत हासिल की। इस सीट पर हार और जीत के बीच का वोट अंतर नोटा पर पड़े वोटों से कम था। इस चुनाव में कांग्रेस, बीएसपी सहित लगभग 557 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है, जबकि लगभग 448 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें नोटा से भी कम वोट प्राप्त हुए हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से 48 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। संगम विहार विधानसभा सीट पर सबसे दिलचस्प जीत देखने को मिली, जहां बीजेपी उम्मीदवार ने 344 वोटों से जीत हासिल की, जबकि इस सीट पर नोटा को 537 वोट मिले। वहीं, त्रिलोकपुरी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ने 392 वोटों से विजय प्राप्त की, जबकि इस सीट पर नोटा को 683 वोट मिले। परिणामों के आंकड़े देख कर सभी आश्चर्यचकित हैं।

इस चुनाव में कुल 70 सीटों पर 53,000 से अधिक मत नोटा के पक्ष में डाले गए हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 557 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी जमानत जब्त हो गई है। बीएसपी सहित कई छोटी पार्टियों की स्थिति सबसे खराब रही है। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में बीएसपी से अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों को वोट प्राप्त हुए हैं। वहीं, इस चुनाव में लगभग 448 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले हैं। इनमें से अधिकांश उम्मीदवार तिहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके।
लोकसभा चुनाव में जमानत बचाने के लिए आवश्यक वोट प्रतिशत
प्राप्त जानकारी के अनुसार, लोकसभा क्षेत्र में जमानत बचाने के लिए कुल मतदान का छठा हिस्सा, अर्थात् 16.66 प्रतिशत वोट प्राप्त करना आवश्यक होता है। यदि इससे कम वोट मिलते हैं, तो प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है। पर्चा दाखिल करते समय जमानत राशि के रूप में सामान्य वर्ग के लिए 25,000 रुपये और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 12,500 रुपये जमा किए जाते हैं। यदि कोई प्रत्याशी अपनी सीट पर कुल वोटिंग का छठा हिस्सा प्राप्त करता है, तो उसे उसकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है। वहीं, जमानत जब्त होने पर यह राशि वापस नहीं की जाती है।




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