क्या INDIA गठबंधन टूट जाएगा या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में समझौता होगा? जानें पूरा गणित।
- Deepak Singh Sisodia
- Feb 11
- 3 min read
विपक्षी गठबंधन का भविष्य: ऐसा प्रतीत होता है कि लोकसभा चुनाव के लिए गठित विपक्षी दलों का इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) पहली बार विभाजन का सामना कर सकता है। इसका कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा है। इस रिपोर्ट में हम आपको इसके पीछे का संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं।

क्या विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA में आधिकारिक तौर पर पहली बार टूट होने जा रही है? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी INDIA गठबंधन से अलग होने पर विचार कर रही है। हाल ही में राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस संदर्भ में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि 'इंडिया' गठबंधन के साथ बने रहने के मुद्दे पर 'आप' का शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेगा।
इंडिया गठबंधन में बढ़ती दरारें: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तनाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद और दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान, इंडिया गठबंधन में दरारें बढ़ती जा रही हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे की सहयोगी कम और प्रतिद्वंद्वी अधिक प्रतीत हो रही हैं। दोनों राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे को कमजोर करने में लगी रहती हैं। हरियाणा में आम आदमी पार्टी के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, जबकि दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी कारण अब आम आदमी पार्टी इस पर विचार कर रही है कि उसे इंडिया गठबंधन से अपना संबंध समाप्त कर लेना चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो यही से इंडिया गठबंधन के विघटन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का वर्चस्व: आम आदमी पार्टी से तुलना
इस प्रश्न का उत्तर समझने में अधिक प्रयास की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी का कद आम आदमी पार्टी की तुलना में कहीं अधिक है। भले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लगातार तीसरी बार शून्य पर आउट हो गई हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में वह देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और उसके पास 99 सांसद हैं। जबकि आम आदमी पार्टी के पास केवल 3 लोकसभा सांसद हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, कांग्रेस की महत्ता आम आदमी पार्टी की तुलना में काफी अधिक है।
कांग्रेस-आप गठबंधन की विफलता और चुनावी मतभेद
दिल्ली में मिली हार के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने हरियाणा और दिल्ली दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी को गठबंधन का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, आम आदमी पार्टी के अड़ियल रवैये के कारण दोनों ही राज्यों में यह गठबंधन नहीं हो सका। अरविंद केजरीवाल ने स्वयं घोषणा की कि दिल्ली में पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। इस संदर्भ में उमर अब्दुल्ला का कथन याद आता है - "और लड़ो आपस में..."। यह कैसा गठबंधन है, जो कभी पार्टियों को एक साथ लाता है और फिर गठबंधन में रहते हुए उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने पर मजबूर करता है, और इतना ही नहीं, चुनाव के दौरान अपने सहयोगियों की आलोचना करने के लिए भी विवश कर देता है।
आम आदमी पार्टी का 'इंडिया' गठबंधन में बने रहने का निर्णय शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या आम आदमी पार्टी 'इंडिया' गठबंधन में शामिल रहना चाहती है या नहीं। इस प्रश्न का उत्तर अभी अस्पष्ट है, क्योंकि जब संजय सिंह से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने इसे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विचाराधीन बताया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संबंधों में आई खटास के बीच, 'आप' के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि 'इंडिया' गठबंधन के साथ बने रहने के विषय पर उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेगा। राज्यसभा सदस्य सिंह से जब पूछा गया कि क्या आपकी पार्टी 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी, तो उन्होंने कहा, 'पार्टी नेतृत्व इस पर फैसला करेगा। अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।'
दिल्ली चुनाव में 'इंडिया' गठबंधन की एकता पर जोर
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन दोनों दलों के बीच तालमेल नहीं बन पाने से भाजपा को लाभ मिलने के दावों के बीच, 'इंडिया' गठबंधन के कई नेताओं ने एकता और सामंजस्य पर जोर दिया। कांग्रेस ने कहा कि 'आप' ने विधानसभा चुनावों में गठबंधन से इनकार कर दिया था, इसलिए अब कांग्रेस पर आरोप लगाना अनुचित है।
जब पूछा गया कि क्या दिल्ली में 'आप' की हार के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, तो सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस पर समीक्षा कर रही है।




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