हमले रोकने के फैसले तक भारत-पाक पहुंच गए... ‘सहमति’ तो बनी, पर लागू कैसे होगी?
- Deepak Singh Sisodia
- May 17
- 4 min read
भारत-पाकिस्तान संघर्ष: मिसाइल हमलों के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों में उत्साह का वातावरण है। ट्रंप के दावों और विभिन्न कारणों के बावजूद, भारत ने पाकिस्तान की पहल पर युद्धविराम को स्वीकार किया। अब यह प्रश्न उठता है कि क्या सीमा पर शांति स्थापित होगी और नियंत्रण रेखा पर स्थिरता आएगी।

नई दिल्ली: चार दिन तक मिसाइल और गोलियों की बौछार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हमले रोकने पर बनी सहमति ने दोनों देशों में खुशी और उत्साह का माहौल पैदा कर दिया है। पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में भड़काऊ नारों के साथ जुलूस निकाले गए हैं। भारत में भी सत्तारूढ़ पार्टी ने राष्ट्रव्यापी यात्राओं की शुरुआत की है। युद्धोन्माद के चरम पर पहुंचने के बाद अचानक यह निर्णय क्यों और कैसे लिया गया, इस पर कई प्रश्न उठ रहे हैं।
ट्रंप के दावे: भारत-पाक संघर्ष में अमेरिकी हस्तक्षेप और सीजफायर की भूमिका
10 मई 2025, शनिवार को सीजफायर की घोषणा से ठीक पहले और फिर 12 मई 2025, सोमवार को पश्चिम एशिया की यात्रा पर निकलने से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर और नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बातें कहीं, उनका सार यह था कि भारत और पाकिस्तान के बीच गंभीर संघर्ष के एटमी टकराव तक पहुंचने की स्थिति में लाखों लोगों की जान जा सकती थी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने दोनों देशों पर व्यापारिक दबाव डालकर उन्हें सीजफायर के लिए सहमत कर लिया। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे पर दोनों देश 'सैकड़ों साल से' लड़ रहे हैं, और यदि वे चाहें तो अमेरिका इस विवाद को सुलझाने के लिए उनके साथ बैठकर प्रयास कर सकता है।
अप्रत्याशित समय में भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम की घोषणा
इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह 'सीजफायर' ऐसे समय में हुआ, जब युद्ध समर्थकों और शांति समर्थकों, दोनों के लिए यह स्थिति अप्रत्याशित थी। इसके दो दिन पहले, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष का अमेरिका से कोई संबंध नहीं है। यूरोपीय संघ, रूस, या चीन की ओर से भी इस मामले में हस्तक्षेप का कोई संकेत नहीं मिल रहा था। ऐसे में संघर्ष केवल तभी रुक सकता था जब भारत, पाकिस्तान को पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट किए बिना, उसे हथियार डालने के लिए मजबूर कर दे।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष: सीजफायर के पीछे के प्रमुख कारण
ट्रंप द्वारा बताई गई वजह का उल्लेख पहले ही किया जा चुका है। पाकिस्तान की संसद में इसके दो कारण बताए गए हैं। पहला यह कि भारत के नए औद्योगिक केंद्र गुजरात पर उसकी वायुसेना के हमले ने भारत को चौंका दिया। दूसरा यह कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कुल 95 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है, जिसमें से 70 अरब डॉलर का नुकसान पिछले 24 घंटों में हुआ। ऐसी स्थिति में भारत के पास सीजफायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। भारत के सोशल मीडिया में सबसे चर्चित कारण पाकिस्तान में 10 मई को आए 4.0 तीव्रता के भूकंप और किसी रेडियोधर्मी रिसाव की खबर रही, जिसका कारण वहां के एक परमाणु ठिकाने पर भारत का हवाई हमला बताया गया।
भारत की सैन्य कार्रवाई पर पाकिस्तान की पहल और अमेरिकी टिप्पणियों का स्पष्टीकरण
भारत की सैन्य कार्रवाई और इसके समापन के संबंध में दी गई आधिकारिक व्याख्या में पाकिस्तान की पहल की ओर इशारा किया गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, रणधीर जायसवाल ने 13 मई, मंगलवार को इस विषय पर दिए गए बयान में डॉनल्ड ट्रंप की टिप्पणियों का क्रमवार उत्तर देने का प्रयास किया। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि संघर्ष के दिनों में अमेरिकी प्रशासन से बातचीत हुई थी, लेकिन इसमें कोई व्यापारिक पहलू शामिल नहीं था। 10 मई की सुबह से पहले दुश्मन के सैन्य ठिकानों पर हमारे तीव्र हमले से पाकिस्तान हिल गया था। युद्धविराम का प्रस्ताव दोपहर 12 बजे पाकिस्तान की ओर से आया, जिसे 3.35 बजे स्वीकार कर लिया गया।
भारतीय विदेश मंत्रालय का कश्मीर पर स्पष्ट रुख
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिकी राष्ट्रपति का नाम लिए बिना, लेकिन विस्तृत जानकारी देकर उनके दावों को पूरी तरह असत्य घोषित किया है। कश्मीर का मुद्दा भी इससे संबंधित है। पिछले कुछ वर्षों से भारत का यह रुख रहा है कि कश्मीर समस्या अब केवल इतनी ही शेष है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर अपना अवैध कब्जा छोड़ दे। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि कश्मीर पर यदि दोनों देशों के बीच कोई चर्चा होती है, तो उसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी।
सीजफायर शर्तों के निर्धारण और कार्यान्वयन की अनिवार्यता
ध्यान देने की बात है कि अमेरिका और भारत की व्याख्या में यह अंतर केवल अतीत की एक घटना के सूक्ष्म भाषाई विवरण तक सीमित नहीं है। यह इस बात से जुड़ा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विस्तारित सीमा रेखा और नियंत्रण रेखा के हर सुगम और दुर्गम क्षेत्र में सीजफायर की ठोस शर्तें निर्धारित की जा सकेंगी या नहीं, और इन शर्तों के निर्धारण से लेकर उनके कार्यान्वयन तक दोनों पक्ष किसी प्रकार की अनिवार्यता महसूस करेंगे या नहीं।
सीजफायर में अमेरिका की भूमिका और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
‘सीजफायर’ में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी, तो क्या पाकिस्तान इसे एक पराजित पक्ष की तरह मानने जा रहा है? यदि ऐसा होता भी है, तो पाकिस्तान की सेना अपने सार्वजनिक छवि के खिलाफ नहीं जाएगी। ध्यान देने योग्य है कि एक बार सीमा पर दोनों तरफ से गोलाबारी शुरू हो जाए, तो दोनों ओर के डीजीएमओ ऊपर का आदेश मानकर शांति बनाए रखने का निर्णय तो ले लेते हैं, लेकिन सीमावर्ती बस्तियों का सुकून वापस नहीं लौटता।




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