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इनवार मिसाइलें बढ़ाएगी भारत की सैन्य ताकत, 3000 करोड़ की डिफेंस डील उड़ा देगी चीन-पाकिस्तान की नींद!

भारत रक्षा समाचार: भारत सरकार अपनी सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने के लिए भारत डायनेमिक्स से लगभग 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये की लागत पर 500 इनवार एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की खरीद करेगी। इन मिसाइलों का उपयोग T-90 टैंकों के साथ किया जाएगा, जिससे देश की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर सैन्य तैयारी को मजबूती मिलेगी।

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नई दिल्ली: भारत सरकार अपनी सैन्य क्षमता को सशक्त करने के लिए भारत डायनेमिक्स (BDL) से लगभग 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये की लागत से 500 इनवार एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGMs) खरीदने की योजना बना रही है, जिनका उपयोग T-90 टैंकों में किया जाएगा। यह सौदा भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर सैन्य तैयारियों को सुदृढ़ करेगा। इस घोषणा के बाद 27 मई को BDL के शेयरों में 4% की वृद्धि हुई और वे 1,991.50 रुपये के नए 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। यह खरीद 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहल को प्रोत्साहित करेगी और भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर सैन्य बल को और मजबूत करेगी, जहां T-90 टैंकों का उपयोग किया जाता है।


भारत डायनेमिक्स से 500 एंटी-टैंक मिसाइलों की खरीद के लिए सरकार की योजना

सरकार देश की रक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में कार्यरत है। इस उद्देश्य से भारत डायनेमिक्स लिमिटेड से एंटी-टैंक मिसाइलों की खरीद की जाएगी। सरकार लगभग 500 इनवार एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों (ATGMs) का ऑर्डर देने की योजना बना रही है, जिसके लिए लगभग 2,000 करोड़ से 3,000 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है। इस जानकारी की पुष्टि सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की है।


इन मिसाइलों को विशेष रूप से T-90 टैंकों से प्रक्षेपित किया जाएगा, और इनकी विशेषता है कि ये अत्यंत सटीक निशाना साधने में सक्षम हैं। भारतीय सेना पहले से ही इन मिसाइलों का उपयोग कर रही है, और इनकी अतिरिक्त खरीद से भारत की टैंक रेजिमेंट की क्षमता और भी बढ़ जाएगी।


एक अधिकारी ने बताया, 'इनवार मिसाइलों को टैंक प्लेटफॉर्म से लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया है। रक्षा मंत्रालय भारत डायनेमिक्स से 500 मिसाइलों के ऑर्डर को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जिसके लिए कुल खर्च 2,000 करोड़ रुपये से 3,000 करोड़ रुपये के बीच होने की संभावना है।' इसका तात्पर्य है कि इन मिसाइलों को टैंक से ही प्रक्षेपित किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय शीघ्र ही 500 मिसाइलों का ऑर्डर देगा।


रक्षा सौदों के लिए वित्तीय आकलन और मंजूरी प्रक्रिया

अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में इस प्रस्ताव का वित्तीय आकलन किया जा रहा है। वित्तीय आकलन का तात्पर्य यह है कि इस सौदे पर आने वाले संभावित खर्च का मूल्यांकन किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही यह निर्णय लिया जाएगा कि इस सौदे को अंतिम मंजूरी कौन प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, 'रक्षा खरीद मामलों में लागत के अनुसार मंजूरी के विभिन्न स्तर निर्धारित होते हैं। 2,000 करोड़ रुपये तक के ऑर्डर को रक्षा मंत्री की स्वीकृति से पारित किया जा सकता है। यदि राशि 3,000 करोड़ के करीब होती है, तो इसके लिए वित्त मंत्री की स्वीकृति आवश्यक होती है। यदि लागत 3,000 करोड़ रुपये से अधिक होती है, तो सौदे को कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ती है।'


रक्षा खरीद में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल की भूमिका और अनुमोदन प्रक्रिया

अधिकारी ने डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के बड़े प्रस्ताव DAC द्वारा अनुमोदित किए जाते हैं। DAC रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में संचालित होती है और यह 2000 करोड़ रुपये तक की रक्षा खरीद को स्वीकृति प्रदान कर सकती है। इससे अधिक राशि के लिए उच्च स्तर की स्वीकृति आवश्यक होती है। अधिकारी ने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना को हथियारों और गोला-बारूद की खरीद के लिए आपातकालीन प्रावधानों के तहत 40,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी।

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