नया वेरिएंट या कुछ और... कोरोना के मामले एक बार फिर क्यों बढ़ रहे? जानें सभी सवालों के जवाब
- Deepak Singh Sisodia
- May 27
- 5 min read
भारत में कोविड-19 के मामले पुनः बढ़ रहे हैं, और देशभर में एक हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि लक्षण हल्के हैं।

नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 एक बार फिर से फैल रहा है। देशभर में कोरोना वायरस के एक हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। भारत के अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ अन्य देशों में भी यह पुनः उभर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में कोविड के लक्षण हल्के हैं, लेकिन कुछ बुनियादी सावधानियां बरतना आवश्यक है। कोविड से संबंधित आम लोगों के मन में उठ रहे महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर हम आपको प्रदान कर रहे हैं।
कोविड-19: मौसमी उतार-चढ़ाव और घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता की चुनौती
हम वर्तमान में उस स्थिति में हैं जहां SARS-CoV-2 (कोविड-19 का वायरस) अन्य श्वसन वायरसों की तरह व्यवहार कर रहा है। इसमें मौसमी उतार-चढ़ाव, क्षेत्रीय परिवर्तन और पुनः संक्रमण की लहरें देखने को मिल रही हैं। मामलों में वृद्धि का मुख्य कारण यह है कि पूर्व संक्रमण या वैक्सीन से प्राप्त सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्यूनिटी) घट रही है।
कई व्यक्तियों, जिन्होंने शुरुआती लहरों में वैक्सीन ली थी, ने एक वर्ष या उससे अधिक समय से बूस्टर डोज नहीं लिया है। वैक्सीन या प्राकृतिक संक्रमण से प्राप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता समय के साथ कमजोर हो जाती है, जिससे पुनः हल्का संक्रमण हो सकता है। इसके अतिरिक्त, महामारी के दौरान या बाद में जन्मे छोटे बच्चों का एक समूह है, जो न तो वायरस के संपर्क में आया है और न ही वैक्सीन प्राप्त कर चुका है। यह समूह वायरस की चपेट में आसानी से आ सकता है और इसे प्रसारित कर सकता है।
वर्तमान वृद्धि के लिए वेरिएंट्स की भूमिका पर अनिश्चितता
वर्तमान में, इस वृद्धि के लिए किसी विशेष वेरिएंट के जिम्मेदार होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय एजेंसियां JN.1, LF.7, और NB.1.8.1 जैसे कुछ नए वेरिएंट्स पर निगरानी रख रही हैं। हालांकि, ऐसा कोई संकेत नहीं है कि ये वेरिएंट्स पूर्व के ओमिक्रॉन वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक या गंभीर हैं। भारत में जीनोम अनुक्रमण की पर्याप्तता नहीं है, इसलिए यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी कि ये वेरिएंट्स वर्तमान वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं।
कम घातकता और हल्के लक्षणों के साथ नए वेरिएंट्स का प्रभाव
वैश्विक और भारतीय आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि LF.7 और NB.1.8.1 जैसे वेरिएंट्स पूर्ववर्ती ओमिक्रॉन वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक या रोग प्रतिरोधक क्षमता को भेदने में सक्षम नहीं हैं। अधिकांश रोगियों में हल्के, फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। ये वेरिएंट्स अधिक संक्रामक होते हुए भी कम घातक हैं, जो वायरस के सामान्य स्थिति (एंडेमिक) की दिशा में बढ़ने का संकेत देते हैं।
अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर मामलों में वृद्धि नहीं देखी गई है, जो आमतौर पर तब होती यदि कोई खतरनाक नया वेरिएंट फैल रहा होता। गंभीर मामले मुख्यतः बुजुर्गों या गंभीर बीमारियों (जैसे मधुमेह, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग) से ग्रस्त व्यक्तियों तक सीमित हैं।
इसके लक्षण क्या हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय अधिकारियों के अनुसार, ये वेरिएंट्स अधिकांश मामलों में हल्की और स्वतः ठीक होने वाली बीमारी का कारण बनते हैं। इनके लक्षण सामान्य फ्लू या अन्य श्वसन संक्रमणों जैसे आरएसवी से मिलते-जुलते हैं। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
हल्का बुखार
सूखी खांसी
गले में खराश
नाक बहना या बंद होना
थकान
शरीर और जोड़ों में दर्द
कुछ मामलों में सिरदर्द या हल्की पेट की गड़बड़ी
क्या बदल गया है?
पहले के वेरिएंट्स में स्वाद या गंध का चले जाना आम था, लेकिन अब यह लक्षण अधिकांश मामलों में नहीं देखा जाता।
सांस लेने में कठिनाई, ऑक्सीजन की कमी, या निमोनिया जैसे गंभीर लक्षण अब बहुत कम देखने को मिलते हैं, विशेषकर उन व्यक्तियों में जिन्होंने टीका लगवाया है या जो पहले संक्रमित हो चुके हैं।
अधिकांश मरीज 3-5 दिनों में घर पर ही स्वस्थ हो रहे हैं। पर्याप्त जल, पैरासिटामॉल, और विश्राम के माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
एंटीवायरल दवाएं केवल उच्च जोखिम वाले या कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए आवश्यक हैं।
कौन जोखिम में है?
कुछ समूहों को कोविड-19 के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है, भले ही इसके लक्षण हल्के हों:
वयोवृद्ध (60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति)
गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्ति, जैसे मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी, कैंसर, या गुर्दे की समस्याएं
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति, जैसे कि इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का सेवन करने वाले
इन समूहों को लक्षण प्रकट होने पर शीघ्र चिकित्सा सहायता प्राप्त करनी चाहिए और आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए।
सभी श्वसन रोगों के प्रसार को रोकने की रणनीति
वर्तमान में, कोविड-19 के लक्षण अन्य सामान्य वायरल संक्रमणों, विशेषकर मानसून के दौरान होने वाले फ्लू या वायरल ब्रॉन्काइटिस के समान हो गए हैं। स्वाद या गंध की कमी, तेज बुखार, और सांस लेने में कठिनाई, जो पहले कोविड की पहचान में सहायक थे, अब कम देखने को मिलते हैं। केवल लक्षणों के आधार पर कोविड की पहचान करना अब लगभग असंभव हो गया है। इसलिए, अब यह रणनीति होनी चाहिए कि कोविड और अन्य श्वसन संक्रमणों को अलग करने का प्रयास करने के बजाय, ऐसी आदतें अपनाई जाएं जो सभी श्वसन रोगों के प्रसार को रोक सकें।
क्या करें?
यदि आपको फ्लू जैसे लक्षण हैं, तो कृपया परीक्षण करवाएं।
संभावना होने पर स्वयं को आइसोलेट करें, मास्क पहनें, और कोविड जैसी सावधानियां बरतें।
क्या हमें फिर से वैक्सीन लेने की जरूरत है?
भले ही वर्तमान टीके नए वेरिएंट्स के लिए विशेष रूप से अपडेट नहीं किए गए हों, वे गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि अधिकांश मामले हल्के हैं और स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक दबाव नहीं है, इसलिए तत्काल बूस्टर डोज की सिफारिश नहीं की जा रही है।
वैश्विक स्तर पर रणनीति अब सामूहिक टीकाकरण से जोखिम-आधारित सुरक्षा की ओर बढ़ रही है। अर्थात्, भविष्य में टीके की सिफारिश होने पर निम्नलिखित समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी:
60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति
गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग (जैसे मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर, किडनी रोग)
कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीज
स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी
नए वेरिएंट्स के खिलाफ वर्तमान वैक्सीन की सीमित प्रभावशीलता
वर्तमान वैक्सीन पुराने वेरिएंट्स (वुहान, डेल्टा, या शुरुआती ओमिक्रॉन) के लिए विकसित की गई थीं। ये गंभीर बीमारी और मृत्यु से कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन नए वेरिएंट्स के कारण होने वाले हल्के या बिना लक्षण वाले संक्रमणों को रोकने में इनकी प्रभावशीलता कम है। इसलिए, वही वैक्सीन पुनः लेने से अधिक लाभ नहीं हो सकता।
आगे क्या करें?
सावधानी बरतें: भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर विशेष रूप से मास्क पहनें।
हाथ धोते रहें: वायरस से बचाव के लिए नियमित रूप से साबुन से हाथ धोना एक प्रभावी उपाय है।
लक्षणों पर नजर रखें: यदि आपको बुखार, खांसी, या थकान जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत परीक्षण करवाएं और स्वयं को आइसोलेट करें।
उच्च जोखिम वाले लोग सतर्क रहें: बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा करें: यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें।




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