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One Nation One Election: लोकसभा, विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर कितना आएगा खर्च? चुनाव आयोग ने बताई एक एक बात

देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर लगभग 5,300 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है। इसके लिए चुनाव आयोग को 48 लाख बैलेटिंग यूनिट और 35 लाख कंट्रोल यूनिट की आवश्यकता होगी।

देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए ₹5.3 हजार करोड़ की ज़रूरत होगी।
देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए ₹5.3 हजार करोड़ की ज़रूरत होगी।

नई दिल्ली: यदि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जाते हैं, तो लगभग 48 लाख बैलेटिंग यूनिट (BU), 35 लाख कंट्रोल यूनिट (CU), और 34 लाख VVPAT की आवश्यकता होगी। यह जानकारी चुनाव आयोग द्वारा एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि 2029 में एक साथ चुनाव होते हैं, तो इन मशीनों की खरीद पर ₹5,300 करोड़ से अधिक का खर्च आएगा।


"एक देश, एक चुनाव" के लिए चुनाव आयोग की तैयारी और संसाधन आवश्यकताएँ

चुनाव आयोग वर्तमान में एक संसदीय समिति के प्रश्नों का उत्तर तैयार कर रहा है, जो "एक देश, एक चुनाव" के मुद्दे पर विचार कर रही है। इस समिति ने चुनाव आयोग से एक साथ चुनाव कराने की लागत और संभावित खर्च में कमी के बारे में जानकारी मांगी है। चुनाव आयोग का उत्तर EVM और VVPAT मशीनों पर आधारित होगा। वर्तमान में आयोग के पास 30 लाख से अधिक BU, 22 लाख CU (जो मिलकर EVM बनाते हैं) और लगभग 24 लाख VVPAT मशीनें हैं। इनमें से कई मशीनें 2013-14 में खरीदी गई थीं और 2029 तक पुरानी हो जाएंगी। इसलिए, चुनाव आयोग को लगभग 20 लाख BU, 13.6 लाख CU और 10 लाख से अधिक VVPAT मशीनों की आवश्यकता होगी।


2029 तक मतदान केंद्रों की संख्या में 15% वृद्धि की संभावना

EVM-VVPAT मशीनों की आवश्यकता निर्धारित करने में तीन प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया जाता है। पहला बिंदु यह है कि मतदान केंद्रों की संख्या में वृद्धि होगी। चुनाव आयोग का अनुमान है कि 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 2029 में मतदान केंद्रों की संख्या में 15% तक की वृद्धि हो सकती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में 10.53 लाख मतदान केंद्र थे। यदि इसमें 15% की वृद्धि होती है, तो 2029 में 12.1 लाख से अधिक मतदान केंद्र होंगे।


ईवीएम की कमी का सामना: पोलिंग स्टेशन पर मशीनों की आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ

दूसरी बात यह है कि प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर दो सेट EVM की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, मशीनों में खराबी की स्थिति में 70% BU, 25% CU और 35% VVPAT को रिज़र्व में रखा जाता है। वर्तमान में चुनाव आयोग के पास 30 लाख से अधिक BU, 22 लाख CU और 23 लाख VVPAT हैं। हालांकि, इनमें से 3.5 लाख BU और 1.25 लाख CU अपनी 15 साल की आयु पूरी कर लेंगे, जिससे मशीनों की कमी हो सकती है।

ईवीएम-वीवीपैट पर ₹5300 करोड़ खर्च होंगे।
ईवीएम-वीवीपैट पर ₹5300 करोड़ खर्च होंगे।

EVM-VVPAT आपूर्ति चुनौतियाँ और 2029 चुनावों की तैयारी

तीसरी बात यह है कि EVM और VVPAT मशीनों की आपूर्ति में समस्या उत्पन्न हो सकती है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। सेमीकंडक्टर की आपूर्ति में कमी के कारण EVM-VVPAT मशीनों का उत्पादन धीमा हो गया था, जबकि चुनाव आयोग ने पहले ही ऑर्डर दे दिया था। इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग 2029 के चुनावों के लिए पहले से ऑर्डर देना और मशीनों का पर्याप्त स्टॉक तैयार रखना चाहेगा। आयोग को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आवश्यकता पड़ने पर EVM को अपग्रेड किया जा सके। वर्तमान में EVM का M3 संस्करण उपयोग में है।


एक साथ चुनाव कराने में लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियाँ

एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। आयोग को EVM और VVPAT मशीनों के भंडारण के लिए अधिक गोदामों की आवश्यकता होगी। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम जैसे राज्यों में अपने गोदामों की अनुपस्थिति के कारण लॉजिस्टिक्स में कठिनाइयां उत्पन्न होंगी।


एक साथ चुनावों की तैयारी: कर्मचारियों का प्रशिक्षण और सुरक्षा चुनौतियाँ

एक साथ चुनाव कराने के लिए कर्मचारियों को तैयार करना और उन्हें प्रशिक्षण देना भी एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी। इसके अतिरिक्त, मशीनों की प्रारंभिक जांच के लिए निर्माताओं के इंजीनियरों को बुलाना आवश्यक होगा। यह प्रक्रिया लोकसभा चुनाव से छह महीने पहले और विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले शुरू होती है। 12 लाख से अधिक मतदान केंद्रों और गोदामों की सुरक्षा के लिए भी बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता होगी।

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