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पाकिस्तान नहीं बदलने वाला... नजर अब भी कश्मीर पर, जानें भारत को क्या करना होगा

पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो अपनी गतिविधियों से पीछे नहीं हटता। 1971 में हार के बावजूद उसने गुप्त रूप से हमले किए। वह कई बार ऐसा कर चुका है और भविष्य में भी ऐसा कर सकता है।

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान में सैन्य संघर्ष स्थगित है, हालांकि हमलों का खतरा अब भी विद्यमान है। सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ और युवाओं की भर्ती के प्रयास जारी हैं, जिन्हें रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि 1990 के दशक जैसी स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो। कश्मीर के युवा अब हिंसा से दूरी बना रहे हैं और उन्हें रोजगार की तलाश है। वे इंटरनेट से जुड़ना चाहते हैं। पर्यटन में भी वृद्धि हो रही है, जिससे परिस्थितियों में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि कश्मीर में शांति कायम रहे। हालांकि, भारत के समक्ष अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, जिन पर ध्यान देना आवश्यक है।


भारत की सुरक्षा और विकास के लिए रणनीतिक कदम

भारत को पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार के संबंधों को रोकने का प्रयास करना चाहिए। पाकिस्तान PoJK जैसे मुद्दों को उठा सकता है, जिसका भारत को विरोध करना आवश्यक है। जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि आतंकवाद का खतरा कम हो गया है, तब तक सुरक्षा व्यवस्थाओं को बनाए रखना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, पर्यटन को प्रोत्साहित करना और आधुनिक परियोजनाओं पर कार्य करना आवश्यक है। इससे लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और उनके मानसिकता में भी बदलाव आएगा।


सीमा सुरक्षा और नई रणनीति की आवश्यकता

वर्तमान समय में प्रयोग करने का अवसर नहीं है। सेना को सीमा पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाए रखना आवश्यक है। ऑपरेशन सिंदूर के उपरांत, एक नई रणनीति का निर्माण करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी और खुफिया प्रणाली का विकास आवश्यक है। जब 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले की सूचना मिली, तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे हम पुराने समय की ओर लौट रहे हैं। यह हमला पाकिस्तान के इशारे पर किया गया था। असीम मुनीर ने पाकिस्तान की जनता के सामने 'दो राष्ट्र सिद्धांत' का उल्लेख किया था, जिसके बाद यह हमला हुआ। पहलगाम हमला यह इंगित करता है कि पाकिस्तान अभी भी 'हजार घाव' देने की नीति पर कायम है।


अनुच्छेद 370 के बाद कश्मीर में शांति और नए खतरों की चुनौती

अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में शांति स्थापित हुई थी। हालांकि, यह हमला उस शांति को भंग करने का प्रयास था। जब मैं मार्च में कश्मीर गया, तो मैंने देखा कि वहां सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा था, लेकिन खतरे की संभावना भी महसूस हुई। पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीर में शांति बनी रहे। श्रीनगर हवाई अड्डे पर प्रतिदिन 93 उड़ानें आ रही हैं। पहलगाम हमले का इस बार भारत ने अलग तरीके से जवाब दिया। हमले की जांच जारी है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर का जम्मू-कश्मीर पर क्या प्रभाव पड़ा, इस पर ध्यान देना आवश्यक है।


युद्ध के बाद की चुनौतियाँ और गुप्त आक्रमण का खतरा

कभी-कभी युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात भी परिस्थितियाँ प्रतिकूल हो सकती हैं। इसका कारण यह है कि शत्रु गुप्त रूप से आक्रमण जारी रखता है। तकनीकी रूप से सक्षम होना आवश्यक है, परंतु विचारधारा की लड़ाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान अपनी नकारात्मक आदतों से कभी भी पीछे नहीं हटेगा। 1971 में पराजय के बाद उसने गुप्त आक्रमण किए थे। वह ऐसा पुनः प्रयास कर सकता है, लेकिन इसमें सफल नहीं होगा।

पाकिस्तान की सेना की चुनौतियाँ और भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया

पाकिस्तान की सेना वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता प्रमुख हैं। इन परिस्थितियों में, वह गुप्त हमलों का सहारा ले सकती है और अपनी पारंपरिक रणनीतियों को जारी रख सकती है। पहलगाम पर हमला भारत की क्षमता की परीक्षा लेने का प्रयास था। 2016 और 2019 में भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट हमले स्पष्ट संदेश थे। ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट किया कि भारत अब और सहन नहीं करेगा, हालांकि गुप्त हमलों को रोकना चुनौतीपूर्ण है। भारत कश्मीर में अपनी रणनीति में बदलाव ला रहा है, जहां अब संघर्ष खून से नहीं, बल्कि वोटों, इंटरनेट और पुलों के माध्यम से लड़ा जाएगा। फिर भी, सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना आवश्यक है।

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