तब इजरायल में पीएम मोदी ने देखा था... अब समुद्र का खारा पानी बनेगा मीठा, DRDO ने इजाद की तकनीक
- Deepak Singh Sisodia
- May 16
- 2 min read
2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ एक खारे पानी को मीठे पानी में बदलने वाली वैन का निरीक्षण किया था। अब, डीआरडीओ ने स्वदेशी तकनीक का उपयोग करते हुए 'बेहद सूक्ष्म छिद्रों वाली बहुपरतीय पॉलीमर झिल्ली' विकसित की है।

नई दिल्ली : वर्ष 2017 में, प्रधानमंत्री मोदी इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ हाइफा में ओल्गा बीच पर टहल रहे थे। इस दौरान, एक छोटे वाहन ने प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान आकर्षित किया। यह जीप जैसा दिखने वाला वाहन वास्तव में समुद्र के खारे पानी को मीठे पानी में परिवर्तित करने वाली मोबाइल वैन थी। प्रधानमंत्री मोदी इस वाहन की तकनीक से अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने इस विषय पर नेतन्याहू से विस्तृत चर्चा की। अब, आठ साल बाद, डीआरडीओ ने इजरायल की इस उपलब्धि को साकार कर दिया है।
डीआरडीओ द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीक से समुद्री जल को मीठा बनाने की पहल
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने उच्च दबाव वाले समुद्री खारे जल को मीठा बनाने के लिए स्वदेशी रूप से 'बेहद सूक्ष्म छिद्रों वाली बहुपरतीय पॉलीमर झिल्ली' विकसित की है। यह जानकारी अधिकारियों ने गुरुवार को दी। अधिकारियों ने बताया कि यह तकनीक डीआरडीओ की कानपुर स्थित प्रयोगशाला, रक्षा सामग्री भंडार और अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई) द्वारा विकसित की गई है।
भारतीय तटरक्षक बल के लिए उन्नत जल शोधन तकनीक का विकास
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस उन्नत तकनीक को भारतीय तटरक्षक बल के जवानों के लिए खारे पानी को मीठे पानी में बदलने वाले संयंत्र हेतु विकसित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि इस तकनीक को जहाजों की परिचालन आवश्यकताओं के संदर्भ में खारे पानी में क्लोराइड आयन के संपर्क में आने पर संतुलन संबंधी चुनौतियों से निपटने में सहायता प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।
डीआरडीओ ने आठ महीनों में विकसित की अत्याधुनिक विलवणीकरण झिल्ली
रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि अत्यंत सूक्ष्म छिद्रों वाली बहुपरतीय पॉलीमर झिल्ली को मात्र आठ महीनों के रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है। मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, डीआरडीओ ने उच्च दबाव वाले समुद्री जल के विलवणीकरण के लिए स्वदेशी रूप से अत्यंत सूक्ष्म छिद्रों वाली बहुपरतीय पॉलीमर झिल्ली के विकास में सफलता प्राप्त की है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में डीएमएसआरडीई की नई तकनीक का सफल परीक्षण
बयान में उल्लेख किया गया है कि प्रारंभिक परीक्षणों में पॉलीमर झिल्ली का प्रदर्शन पूरी तरह से संतोषजनक पाया गया है। यह सुरक्षा मानकों पर भी खरी उतरी है। आईसीजी 500 घंटे के संचालन परीक्षण के बाद अंतिम संचालन स्वीकृति प्रदान करेगा। वर्तमान में इस तकनीक का परीक्षण ओपीवी पर किया जा रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में डीएमएसआरडीई का एक और महत्वपूर्ण कदम है।




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