भारत से पिटने के बाद अब टूटेगा पाकिस्तान, 80 फीसदी बलूचिस्तान से खोया नियंत्रण, डर के मारे नहीं निकल रही पाकिस्तानी सेना, खुलासा
- Deepak Singh Sisodia
- May 17
- 2 min read
पाकिस्तान अभी ऑपरेशन सिंदूर से पूरी तरह उबर नहीं पाया है कि बलूचिस्तान में स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। मीर यार बलोच जैसे बलोच नेता स्वतंत्रता की घोषणा कर चुके हैं। पाकिस्तानी सेना की स्थिति ऐसी है कि वह राजधानी क्वेटा से बाहर जाने से हिचकिचा रही है।

इस्लामाबाद: ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हमले से पाकिस्तान अभी तक पूरी तरह से उबर नहीं पाया है। इस दौरान बलूचिस्तान में परिस्थितियां तेजी से बिगड़ रही हैं। बलूचिस्तान का एक बड़ा हिस्सा अब पाकिस्तान के नियंत्रण में नहीं है। मीर यार बलोच सहित प्रमुख बलोच नेताओं ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी है और इसके लिए भारत और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता और समर्थन की अपील की है। इसी बीच, बलोच अमेरिकी कांग्रेस के महासचिव रज्जाक बलोच ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है कि पाकिस्तानी अधिकारियों का अब बलूचिस्तान के बड़े हिस्से पर नियंत्रण नहीं है।
बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की सीमित गतिविधियाँ: रज्जाक बलोच का दावा
बलोच नेता रज्जाक ने TAG टीवी को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि 'पाकिस्तानी सेना अंधेरा होने के बाद क्वेटा से बाहर नहीं निकल सकती।' उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने भी इस स्थिति को स्वीकार किया है और सुरक्षा चिंताओं के कारण सेना शाम 5 बजे से सुबह 5 बजे तक सड़कों को खाली कर देती है और गश्त भी नहीं करती। रज्जाक बलोच ने यह भी कहा कि बलूचिस्तान का 70-80 प्रतिशत हिस्सा अब पाकिस्तान के नियंत्रण में नहीं है।
बलूच स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील
रज्जाक बलूच ने अंतरराष्ट्रीय शक्तियों, विशेषकर भारत और अमेरिका, से बलूच स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि यदि भारत हमारा समर्थन करता है, तो बलूचिस्तान के द्वार भारत के लिए खुल जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि समर्थन में देरी करने से हिंसक सेना को प्रोत्साहन मिलेगा, जिसका प्रभाव केवल बलूचिस्तान पर नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा। उन्होंने लोकतांत्रिक देशों से बलूच प्रतिनिधियों की मेजबानी करने और आत्मनिर्णय के संघर्ष को मान्यता देने की अपील की।
पाकिस्तानी सेना के लिए समझदारी से वापसी का आह्वान
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना के लिए यह बेहतर होगा कि वह समझदारी और गरिमा के साथ वापसी का निर्णय ले, बजाय इसके कि वह बांग्लादेश की तरह हताशा में भागे। उन्होंने शांति, क्षेत्रीय स्थिरता और पाकिस्तान के प्रांतों में सैन्य उत्पीड़न को तत्काल समाप्त करने की अपील की।
बलूचिस्तान में बढ़ती अलगाववादी गतिविधियाँ और भारत से समर्थन की अपील
बलूचिस्तान में हाल के दिनों में अलगाववादी आंदोलन ने काफी तेजी पकड़ी है। बलोच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके पाकिस्तानी सेना और चीनी परियोजनाओं पर लगातार हमले कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही बलूच कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने 'पाकिस्तान से स्वतंत्रता' की बात कही थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। मीर ने पाकिस्तान और चीन के साथ तनाव के बीच भारत के समर्थन की भी मांग की थी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी, आप अकेले नहीं हैं। आपके पास बलूच देशभक्तों का समर्थन है।




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