रूस के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57E को आखिरकार मिला पहला ग्राहक, पुतिन की मुराद पूरी, भारत के साथ भी डील?
- Deepak Singh Sisodia
- May 27
- 4 min read
भारत वर्तमान में अपने AMCA प्रोजेक्ट पर कार्यरत है। इसके अतिरिक्त, भारत स्वदेशी Tejas Mk-2 लड़ाकू विमान का निर्माण भी कर रहा है। हालांकि, पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बाद भारत को एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस संदर्भ में, Su-57E भारत के लिए एक सशक्त विकल्प हो सकता है।

मॉस्को: रूसी सरकारी समाचार एजेंसी TASS ने दावा किया है कि एसयू-57ई जेट का पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक मिल चुका है। यानी कई वर्षों की कोशिशों के बाद, रूसी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट की बिक्री शुरू हो रही है। TASS की 22 मई की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 से 'विदेशी देश' में Su-57E अपनी पहली उड़ान भरना आरंभ करेगा। हालांकि, रूस ने अभी तक आधिकारिक रूप से उस देश की पहचान का खुलासा नहीं किया है। रूस की संघीय सैन्य-तकनीकी सहयोग सेवा (FSVTS) ने भी मिन्स्क में MILEX 2025 रक्षा प्रदर्शनी के दौरान खरीदार देश की पहचान को गुप्त रखा था। लेकिन, संभावित देश के रूप में अल्जीरिया का नाम सामने आ रहा है। अल्जीरिया के सरकारी टेलीविजन और कुछ रूसी अधिकारियों के बयानों के साथ-साथ स्वतंत्र स्रोतों से यह संकेत मिल रहे हैं और पुष्टि हो रही है कि अल्जीरिया और रूस के बीच Su-57E को लेकर समझौता हो चुका है।
अल्जीरिया के पायलटों का रूस में Su-57E विमान प्रशिक्षण और आगामी डिलीवरी योजना
रिपोर्ट्स के अनुसार, अल्जीरिया के पायलट वर्तमान में रूस में Su-57E विमान उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष के अंत तक रूस कम से कम 6 Su-57E लड़ाकू विमानों की इकाइयाँ अल्जीरिया को प्रदान करेगा। इस समझौते का संकेत सबसे पहले Su-57E के निर्माता, रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, ने एयरशो चाइना 2024 में दिया था। इसके बाद, एयरो इंडिया-2025 के दौरान, कंपनी के निदेशक अलेक्जेंडर मिखेव ने भी इस बात की पुष्टि की कि एक विदेशी ग्राहक इस वर्ष के अंत तक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का संचालन शुरू कर देगा।
Su-57E: विश्व के उन्नत लड़ाकू विमानों में रूस का प्रतिस्पर्धी विकल्प
रूस का Su-57E फाइटर जेट विश्व के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है। यह Su-57 का निर्यात संस्करण है, जिसे बिक्री के लिए तैयार किया गया है। Su-57E को रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) और सुखोई ने मिलकर विकसित किया है। इसने अपनी पहली उड़ान 29 जनवरी 2010 को भरी थी। अल्जीरिया और रूस के बीच हुए समझौते के बाद यह सवाल उठता है कि क्या Su-57E भविष्य में भारत जैसे देशों के लिए अमेरिकी F-35 या चीनी J-35 या J-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स का प्रतिस्पर्धी विकल्प बन सकता है। Su-57E लड़ाकू विमान उन सभी विशेषताओं से सुसज्जित है जो एक 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट में होनी चाहिए। इसमें स्टील्थ डिजाइन शामिल है, जिससे आधुनिक रडार द्वारा इसे पहचानना काफी कठिन हो जाता है, और यह दुश्मन के डिटेक्शन से बच सकता है।
Su-57: अत्याधुनिक सुपरमेन्युवरेबिलिटी और स्टील्थ क्षमताओं से लैस फाइटर जेट
इसके अतिरिक्त, Su-57 लड़ाकू विमान में सुपरमेन्युवरेबिलिटी जैसी विशेषता है, जिसका अर्थ है कि इसमें थ्रस्ट वेक्टरिंग इंजन और डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम मौजूद हैं, जो इसे हवा में असाधारण गतिशीलता प्रदान करते हैं। हथियारों को विमान के भीतर रखने की क्षमता इसे अधिक स्टील्थ बनाती है। इस फाइटर जेट में सभी मौसमों में बहु-भूमिका संचालन की क्षमता है, जो इसे समुद्री, जमीनी और हवाई डॉगफाइट में दुश्मन के खिलाफ बढ़त प्रदान करती है। इस विमान की गति 2600 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह 20000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। दो बार रिफ्यूलिंग के बाद इसकी रेंज 7800 किलोमीटर तक हो जाती है और यह एक बार में अधिकतम 10 घंटे तक उड़ान भर सकता है। रूस जल्द ही इसमें Izdeliye 30 इंजन लगाने की योजना बना रहा है, जो इस स्टील्थ फाइटर की क्षमता और शक्ति को और बढ़ा देगा।
भारत के लिए Su-57E: अत्याधुनिक लड़ाकू विमान की आवश्यकता और रणनीतिक विकल्प
भारत वर्तमान में अपने AMCA प्रोजेक्ट पर कार्यरत है और इसके साथ ही स्वदेशी तेजस Mk-2 लड़ाकू विमान का भी निर्माण कर रहा है। हालांकि, पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बाद भारत को एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस संदर्भ में Su-57E भारत के लिए एक सशक्त विकल्प हो सकता है, विशेष रूप से उस स्थिति में जब राफेल के निर्माता, डसॉल्ट कंपनी, भारत को सोर्स कोड प्रदान करने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी ओर, रूस ने तकनीकी हस्तांतरण के साथ 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत इस वर्ष से भारत में Su-57 का उत्पादन शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। पाकिस्तान, जो संभवतः अगस्त में चीनी जे-35 फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान प्राप्त कर लेगा, के खिलाफ Su-57 एक प्रभावशाली प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है। इसके अतिरिक्त, भारत पहले से ही रूसी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग कर रहा है, जिससे इंटीग्रेशन सरल हो जाएगा। भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल का भी निर्माण किया है, जिससे Su-57 के साथ ब्रह्मोस के इंटीग्रेशन की संभावना बनती है, जो वर्तमान में राफेल के साथ संभव नहीं हो पा रहा है।




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