6 हजार से ज्यादा आशियाने टूटे, अब फार्महाउस की बारी... सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई जारी
- Deepak Singh Sisodia
- May 29
- 2 min read
फरीदाबाद में अरावली क्षेत्र में अवैध निर्माण की समीक्षा सेंट्रल एंपावर्ड कमिटी द्वारा 30 मई को की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्देश दिया है। 2021 में खोरी कॉलोनी में 6 हजार से अधिक घरों को ध्वस्त किया गया था। 2022 में कोर्ट ने अवैध निर्माण हटाकर वन क्षेत्र विकसित करने का आदेश दिया था। वन विभाग ने ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण किया, लेकिन कार्रवाई पूरी नहीं हो पाई। अब जुलाई 2025 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

फरीदाबाद। अरावली में हुए अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की समीक्षा 30 मई को सेंट्रल एंपावर्ड कमिटी (सीईसी) द्वारा की जाएगी। यह समिति पर्यावरण से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट को सलाह प्रदान करती है।
अरावली वन क्षेत्र में ध्वस्तीकरण के बाद कोर्ट की निगरानी में कमेटी की कार्रवाई
कोर्ट ने मामले की निगरानी के लिए एक कमेटी को निर्देशित किया है। हाल ही में हुई बैठक में कमेटी ने प्रदेश सरकार और वन विभाग के अधिकारियों के प्रति असंतोष व्यक्त किया था। आगामी बैठक के लिए अधिकारी तैयारियों में लगे हुए हैं।
वास्तव में, 2021 में अरावली वन क्षेत्र में स्थित खोरी कॉलोनी के 6,000 से अधिक घरों को ध्वस्त कर दिया गया था। खोरी के निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अरावली में बने फार्महाउस और अन्य इकाइयों पर भी कार्रवाई की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अरावली में अवैध निर्माण हटाने में देरी
जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों को हटाकर वन विकसित करने का आदेश दिया था। वर्ष 2022 से अब तक वन विभाग सभी इकाइयों पर कार्रवाई करने में सफल नहीं हो पाया है। विभाग ने ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण कराया है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई की तारीख नजदीक आते देख कुछ क्षेत्रों में तोड़फोड़ भी की गई है। अरावली वन क्षेत्र में 6793 से अधिक छोटे-बड़े अवैध निर्माणों को हटाया जाना है।
अरावली वन क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अरावली वन क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने के लिए तीन महीने की समय सीमा निर्धारित की है। इस मामले की सुनवाई 17 अप्रैल को हुई थी। अरावली से अवैध कब्जों को हटाकर जुलाई 2025 के अंत तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने जिला वन विभाग को समय प्रदान किया था, जिसके दौरान विभाग ने कुछ क्षेत्रों से अवैध निर्माण हटाए थे। अब एक बार फिर से तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
अरावली में अवैध निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अरावली में हुए अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई जारी है। पिछली बैठक में दिए गए निर्देशों का पालन किया जा रहा है। सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी के समक्ष शुक्रवार को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। - नरेश रंगा, जिला वन अधिकारी




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